संपूर्ण जगत में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर हैl यह राजस्थान के मध्य अजमेर से 18 किलोमीटर दूर हैl पुष्कर तीर्थ तीनों और से श्रंखला की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यहां प्राकृतिक सौंदर्य अलौकिक हैl पुष्कर ऐसा तीर्थ स्थल है जहां विदेशी पर्यटक और श्रद्धालुगण खींचे चले आते हैंl उट को राजस्थान में जहाज कहा जाता है, श्रद्धालुगण उट भोगी के जरिए पुष्कर आते हैं, जो राजस्थान की परंपरागत शैली है, और यह स्थल काफी पवित्र हैं, यहां दुनिया भर से लोग आते हैं, यहां अधिकतर विदेशी पर्यटक ज्यादा आते हैं,
Saturday, 30 June 2018
पुष्कर
संपूर्ण जगत में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर हैl यह राजस्थान के मध्य अजमेर से 18 किलोमीटर दूर हैl पुष्कर तीर्थ तीनों और से श्रंखला की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यहां प्राकृतिक सौंदर्य अलौकिक हैl पुष्कर ऐसा तीर्थ स्थल है जहां विदेशी पर्यटक और श्रद्धालुगण खींचे चले आते हैंl उट को राजस्थान में जहाज कहा जाता है, श्रद्धालुगण उट भोगी के जरिए पुष्कर आते हैं, जो राजस्थान की परंपरागत शैली है, और यह स्थल काफी पवित्र हैं, यहां दुनिया भर से लोग आते हैं, यहां अधिकतर विदेशी पर्यटक ज्यादा आते हैं,
ढाई दिन का झोपडा

यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। जो दरगाह के पास स्थित है,यह एक मस्जिद है। इसकी निर्माण की शुरुआत "क़ुत्ब-उड़-दिन-ऐबक" ने मोहब्बत गोरी के आज्ञा पर 1192 मैं की थी,और इसके निर्माण की समाप्ति 1199 मैं हुई। यह मस्जिद संस्कृत कॉलेज के खंडहर पर बनी हुई है जिसे हिंदू और जैन के ध्वस्त किए हुए टूटे-फूटे टुकड़े को लाकर बनाया गया है। सवाल यह है कि इस इमारत को ढाई दिन का नाम कैसे और किसने दिया। लोग कहते हैं कि इस मस्जिद का एक हिस्सा डाई दिन में बना था इसलिए इसका नाम डाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इस कपड़े को देखने काफी पर्यटक आते हैं यह पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। और यह दुनिया भर में काफी मशहूर है। दरगाह शरीफ आने वाले पर्यटक इस ढाई दिन के झोपड़े को जरूर देखने आते हैं।
यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। जो दरगाह के पास स्थित है,यह एक मस्जिद है। इसकी निर्माण की शुरुआत "क़ुत्ब-उड़-दिन-ऐबक" ने मोहब्बत गोरी के आज्ञा पर 1192 मैं की थी,और इसके निर्माण की समाप्ति 1199 मैं हुई। यह मस्जिद संस्कृत कॉलेज के खंडहर पर बनी हुई है जिसे हिंदू और जैन के ध्वस्त किए हुए टूटे-फूटे टुकड़े को लाकर बनाया गया है। सवाल यह है कि इस इमारत को ढाई दिन का नाम कैसे और किसने दिया। लोग कहते हैं कि इस मस्जिद का एक हिस्सा डाई दिन में बना था इसलिए इसका नाम डाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इस कपड़े को देखने काफी पर्यटक आते हैं यह पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। और यह दुनिया भर में काफी मशहूर है। दरगाह शरीफ आने वाले पर्यटक इस ढाई दिन के झोपड़े को जरूर देखने आते हैं।
Friday, 29 June 2018
Ana sagar
Yeh "ana sagar" rajhasthan ke ajmer jila me hai. Yeh bahut khubsurat jil hai.aur yaha bari matra me prayatak aate hai.aur is jil ka aanand late hai.yeh khara pani ke jil hai.aur yeh prayatak ko aakarshit karte hai.ajmer. ana sagar jil ke bich me ek taapu hai jo kaafi khubsurat hai. Aur yeh taapu loogo ko aakarshit karte hai. Dargha sharif me aana wala prayatak is jil ko dakhna aate hai. Agar aap aana chahate ho to yeh ajmer station se 5 km dur vaishali nagar me hai.
Dargha sharif
Yeh dargha sharif rajhasthan ka ajmer jila me hai. Ajmer sharif me hazrat moinuddin chishty ke dargha hai.khwaja moinuddin chishty ka pura name ''chishty mu 'in al-din hasan sijzi'' hai.pure duniya aapko 'hazrat moinuddin chishty, hazrat khwaja gharib nawaz,khwaja baba, aur iska alawa ajmer ka naam se yaad karte hai.ajmer sharif me duniya bar se loog aate hai.agar aap dargha Aana chahata ho to ajmer station se madar gate ke jariya aap aa skte ho.
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सोनीजी की नसिया (जैन मंदिर)
यह राजस्थान के "अजमेर" जिले में है, यह भव्य "जैन मंदिर " है, इसे "सोनीजी की नसिया " के नाम से भी...
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