यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। जो दरगाह के पास स्थित है,यह एक मस्जिद है। इसकी निर्माण की शुरुआत "क़ुत्ब-उड़-दिन-ऐबक" ने मोहब्बत गोरी के आज्ञा पर 1192 मैं की थी,और इसके निर्माण की समाप्ति 1199 मैं हुई। यह मस्जिद संस्कृत कॉलेज के खंडहर पर बनी हुई है जिसे हिंदू और जैन के ध्वस्त किए हुए टूटे-फूटे टुकड़े को लाकर बनाया गया है। सवाल यह है कि इस इमारत को ढाई दिन का नाम कैसे और किसने दिया। लोग कहते हैं कि इस मस्जिद का एक हिस्सा डाई दिन में बना था इसलिए इसका नाम डाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इस कपड़े को देखने काफी पर्यटक आते हैं यह पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। और यह दुनिया भर में काफी मशहूर है। दरगाह शरीफ आने वाले पर्यटक इस ढाई दिन के झोपड़े को जरूर देखने आते हैं।
Saturday, 30 June 2018
ढाई दिन का झोपडा
यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। जो दरगाह के पास स्थित है,यह एक मस्जिद है। इसकी निर्माण की शुरुआत "क़ुत्ब-उड़-दिन-ऐबक" ने मोहब्बत गोरी के आज्ञा पर 1192 मैं की थी,और इसके निर्माण की समाप्ति 1199 मैं हुई। यह मस्जिद संस्कृत कॉलेज के खंडहर पर बनी हुई है जिसे हिंदू और जैन के ध्वस्त किए हुए टूटे-फूटे टुकड़े को लाकर बनाया गया है। सवाल यह है कि इस इमारत को ढाई दिन का नाम कैसे और किसने दिया। लोग कहते हैं कि इस मस्जिद का एक हिस्सा डाई दिन में बना था इसलिए इसका नाम डाई दिन का झोपड़ा पड़ा। इस कपड़े को देखने काफी पर्यटक आते हैं यह पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। और यह दुनिया भर में काफी मशहूर है। दरगाह शरीफ आने वाले पर्यटक इस ढाई दिन के झोपड़े को जरूर देखने आते हैं।
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