यह राजस्थान के "अजमेर" जिले में है, यह भव्य "जैन मंदिर" है, इसे "सोनीजी की नसिया "के नाम से भी जाना जाता है| इसके मुख्य कक्ष को "स्वर्ण नगरी" भी कहा जाता है इस कक्ष में सोने से परिरक्षित लकड़ी की रचना है, नसियां मंदिर को "लाल मंदिर" भी कहा जाता है,इसका निर्माण 1865 में हुआ था| संग्रहालय की आंतरिक संरचना सोने से बनी हुई है, और यह भगवान आदिनाथ के जीवन के पांच चरणों जिन्हें पंच कल्याणक कहा जाता है, काे दर्शाती है| इसका क्षेत्र 3200 वर्ग फुट है, और यह बेल्जियम के रंगीन कांच खनिज रंग और रंगीन कांच से सुसज्जित है|
Friday, 27 July 2018
Thursday, 26 July 2018
नारेली, जैन मंदिर
यह राजस्थान के अजमेर जिले में है, यह अजमेर से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका निर्माण आर के मार्बल के अशोक पटनी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण हुआ है। यह मंदिर अरावली पर्वत श्रंखला पर स्थित है, नारेली जैन मंदिर संगमरमर से बना हुआ है। यह मंदिर उन पर्यटक को और श्रद्धालु में खास लोकप्रिय है, जो सुकून वाली जगह पसंद करते हैं। इस मंदिर के पास एक पहाड़ी पर 24 छोटे छोटे मंदिर बने हुए हैं, जो कि देखने में काफी अनोखे लगते हैं, इस मंदिर में घूमने का अलग ही आनंद आता है।
सलवाड शरीफ

यह राजस्थान के अजमेर से 65 किलोमीटर पर स्थित है। सलवाड नाम का कस्बा जो राजस्थान का हिस्सा है जो सलवाड किशनगंज पर मौजूद है। ढाई नदी के किनारे बसी है नगरी बहुत खूबसूरत है। सलवाड कस्बे को सलवाड क्यों कहा जाता है? इस पर अलग-अलग रिवायते यानी दलीलें है, सलवाड नाम इसलिए हुआ कि इसके चारों तरफ सरवारे यानी तालाबों की तादाद ज्यादा है। यहां मुस्लिम स्थान होने के साथ-साथ यहां हिंदू धर्म के प्राचीन काल के मंदिर भी मौजूद है, जो हिंदू मुस्लिम एकता का सबूत है। यहां ऐसा दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है कि जैसे कि हम अजमेर शरीफ में हैं। यहां सलवाड में "हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती" की दरगाह है, जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह सलवाड शरीफ जरूरत जाते हैं।
यह राजस्थान के अजमेर से 65 किलोमीटर पर स्थित है। सलवाड नाम का कस्बा जो राजस्थान का हिस्सा है जो सलवाड किशनगंज पर मौजूद है। ढाई नदी के किनारे बसी है नगरी बहुत खूबसूरत है। सलवाड कस्बे को सलवाड क्यों कहा जाता है? इस पर अलग-अलग रिवायते यानी दलीलें है, सलवाड नाम इसलिए हुआ कि इसके चारों तरफ सरवारे यानी तालाबों की तादाद ज्यादा है। यहां मुस्लिम स्थान होने के साथ-साथ यहां हिंदू धर्म के प्राचीन काल के मंदिर भी मौजूद है, जो हिंदू मुस्लिम एकता का सबूत है। यहां ऐसा दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है कि जैसे कि हम अजमेर शरीफ में हैं। यहां सलवाड में "हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती" की दरगाह है, जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह सलवाड शरीफ जरूरत जाते हैं।
Sunday, 22 July 2018
तारागढ़ का किला

यह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है, अजमेर शहर के दक्षिण पश्चिम में ढाई दिन की झोपड़ी के पीछे स्थित यह दुर्ग तारागढ़ की पहाड़ी पर 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैl लोक संगीत में इस किले को "गढबिरली" कहा जाता हैl तारागढ़ में "हजरत मीरा सैयद हुसैन" की दरगाह है,इसे तारागढ़ दरगाह के नाम से जाना जाता हैl जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह तारागढ़ में स्थित "हजरत मीरा सैयद हुसैन" की दरगाह में जरूर आते हैंl तारागढ़ से अजमेर देखने पर बहुत आनंद आता है, तारागढ़ के बीच में "पृथ्वीराज चौहान "का किला हैl तारागढ़ का किला राजस्थान के पर्यटन स्थलों में से एक है जो अजमेर में स्थित हैl
यह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है, अजमेर शहर के दक्षिण पश्चिम में ढाई दिन की झोपड़ी के पीछे स्थित यह दुर्ग तारागढ़ की पहाड़ी पर 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैl लोक संगीत में इस किले को "गढबिरली" कहा जाता हैl तारागढ़ में "हजरत मीरा सैयद हुसैन" की दरगाह है,इसे तारागढ़ दरगाह के नाम से जाना जाता हैl जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह तारागढ़ में स्थित "हजरत मीरा सैयद हुसैन" की दरगाह में जरूर आते हैंl तारागढ़ से अजमेर देखने पर बहुत आनंद आता है, तारागढ़ के बीच में "पृथ्वीराज चौहान "का किला हैl तारागढ़ का किला राजस्थान के पर्यटन स्थलों में से एक है जो अजमेर में स्थित हैl
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सोनीजी की नसिया (जैन मंदिर)
यह राजस्थान के "अजमेर" जिले में है, यह भव्य "जैन मंदिर " है, इसे "सोनीजी की नसिया " के नाम से भी...
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Yeh dargha sharif rajhasthan ka ajmer jila me hai. Ajmer sharif me hazrat moinuddin chishty ke dargha hai.khwaja moinuddin...
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संपूर्ण जगत में ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर हैl यह राजस्थान के मध्य अजमेर से 18 किलोमीटर दूर हैl पुष्कर तीर्थ तीनों और...