यह राजस्थान के अजमेर से 65 किलोमीटर पर स्थित है। सलवाड नाम का कस्बा जो राजस्थान का हिस्सा है जो सलवाड किशनगंज पर मौजूद है। ढाई नदी के किनारे बसी है नगरी बहुत खूबसूरत है। सलवाड कस्बे को सलवाड क्यों कहा जाता है? इस पर अलग-अलग रिवायते यानी दलीलें है, सलवाड नाम इसलिए हुआ कि इसके चारों तरफ सरवारे यानी तालाबों की तादाद ज्यादा है। यहां मुस्लिम स्थान होने के साथ-साथ यहां हिंदू धर्म के प्राचीन काल के मंदिर भी मौजूद है, जो हिंदू मुस्लिम एकता का सबूत है। यहां ऐसा दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है कि जैसे कि हम अजमेर शरीफ में हैं। यहां सलवाड में "हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती" की दरगाह है, जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह सलवाड शरीफ जरूरत जाते हैं।
Thursday, 26 July 2018
सलवाड शरीफ
यह राजस्थान के अजमेर से 65 किलोमीटर पर स्थित है। सलवाड नाम का कस्बा जो राजस्थान का हिस्सा है जो सलवाड किशनगंज पर मौजूद है। ढाई नदी के किनारे बसी है नगरी बहुत खूबसूरत है। सलवाड कस्बे को सलवाड क्यों कहा जाता है? इस पर अलग-अलग रिवायते यानी दलीलें है, सलवाड नाम इसलिए हुआ कि इसके चारों तरफ सरवारे यानी तालाबों की तादाद ज्यादा है। यहां मुस्लिम स्थान होने के साथ-साथ यहां हिंदू धर्म के प्राचीन काल के मंदिर भी मौजूद है, जो हिंदू मुस्लिम एकता का सबूत है। यहां ऐसा दिलचस्प नजारा देखने को मिलता है कि जैसे कि हम अजमेर शरीफ में हैं। यहां सलवाड में "हजरत ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती" की दरगाह है, जो पर्यटक अजमेर शरीफ आते हैं वह सलवाड शरीफ जरूरत जाते हैं।
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